खेलत स्यामा-स्याम ललित ब्रज में रस-होरी...राधा-संग सखी-सहचरि सब मिलि केसर-रँग-घोरी।सुन्दर

खेलत स्यामा-स्याम ललित ब्रज में रस-होरी...राधा-संग सखी-सहचरि सब मिलि केसर-रँग-घोरी।सुन्दर








खेलत स्यामा-स्याम ललित ब्रज में रस-होरी...





राधा-संग सखी-सहचरि सब मिलि केसर-रँग-घोरी।

सुन्दर स्याम-बदन पर डारत भरि-भरि कनक-कटोरी॥


प्रेम-रस-रंग-बिभोरी||1||



हेरि-हेरि हरि-मुख पिचकारी छाँडि रहीं चहुँ ओरी।

पकरि हाथ सखियन मलि दीन्हीं मुँह गुलाल अरु रोरी॥

स्याम-मुख अरुन भयौ री ||2||






देखि प्रसन्न वदन सखियन सँग रंगिनि नवल किसोरी।

उमग्यौ हिय आनंद-सिंधु, हरि रँग दीन्हीं सब गोरी॥

सुरस-संग्राम मच्यौ री ||3||






बाजत ताल-मृदंग, ढोल-ढप, सिंगा-बेनु ढपोरी।

गावत राग धमार नृत्य करि, कर अबीर की झोरी॥

पुकारत हो-हो होरी ||4||


जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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