
टेक
बार-बार पिचकारी मारत, तापै बाँह मरोरी ||1||
नन्द बाबा की गाय चराबो, हमसे करत बरजोरी।
छाछ छीन खाते ग्वालिन की, करते माखन चोरी||2||
चोबा चन्दन और अरगजा, अबीर लिये भर झोरी।
उड़त गुलाल लाल भये बादर, केसरि भरी कमोरी ||3||
वृन्दावन की कुंज गलिन में, पावौं राधा गोरी
‘सूरदास’ आश तुम्हरे दरश की, चिरंजीवी ये जोरी ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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