
नैनों से कर इशारा, पागल बना दिया,
तीरे-नज़र से मारा, खंज़र चला दिया ।।
जलवा दिखाया दूर से, कुछ भी कसर नहीं,
आहों का मेरी श्याम के, कोई असर नहीं,
तुमको मिला क्या सांवरे, ये दिल जला दिया ||1||
ना मिलना भी तुम्हारा, छोटी सजा नहीं,
कह देता दिल का राज भी, पर कुछ मजा नहीं,
उल्फ़त का जाम कैसा, तूने पिला दिया ||2||
यादों के सहारे ही, है अब ये जिन्दगी,
नासूर बन के रह गई, मीठी सी दिल्लगी,
मैंने भी दर पे तेरे, कम्बल बिछा दिया ||3||
मिल कर दी जुदाई, 'शिव' हाल क्या हुआ,
देता गई श्यामबहादुर, फिर भी तुम्हें दुआ,
मरते हुये को श्याम क्यूँ, तूने जिला दिया ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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