
पिया मोहि अखियन दरस दीजै |
रहत बरसत हर पल बिनु साबन ,
राह तक कबै पिया आबन ,
पिया अबहु आय कृपा कीजै ||1||
दृग बरसत छलकत नित नीर ,
एसो मार्यो पिय दृगही तीर ,
पिय अब पीर मिटा दीजै ||2||
पिया आजु दरसही प्यासी ,
करै बिनती बिरहनी दासी ,
आय पिय बिरह मिटा दीजै ||3||
पिय मोर अबहुँ कृपा कीजै ,
दरस सौ दृग धन्य कीजै ,
दरस कृपा पिय ऐसौ बरसै ,
" बिरहनी " उर नितही भीजै ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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