अब तो  लगी लगन है मिट्टी में है मिल जाना

अब तो  लगी लगन है मिट्टी में है मिल जाना









अब तो  लगी लगन है मिट्टी में है मिल जाना ,

प्रेमी के प्रेमपथ पर मन हो गया दिवाना |




दर दर की खाक छानी दृग से बहाके पानी,

जो देखता सो कहता है नेह की निशानी,
अब रो रहा हठी दिल पहले कहा न माना ll1ll




परवा नहीं है तन की , बदली है गति नयन की,

सुनता नहीं हठी दिल ,गम है खुराक मन की ,
पीने को दिन में आँसू और रात में गम खाना ll2ll




जब याद है सताती , फटती है हाय छाती,

रो-रो के भेजता है , उस बें निशां को पाती ,
पत्तों से पूछता है ,उसका पता ठिकाना ll3ll




यह प्रेम पथ अगम है , क्या भटकने का गम है ,

दुनिया को हिला देंगे , मन का यही नियम है ,
रख 'श्याम ' को पुतली में अरु निज को भूल जाना ll4ll




जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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