श्री वल्लभ रतन अमोल हैं ,चुप कर दीजे ताल ।ग्राहक

श्री वल्लभ रतन अमोल हैं ,चुप कर दीजे ताल ।ग्राहक








श्री वल्लभ रतन अमोल हैं ,
चुप कर दीजे ताल ।
ग्राहक मिले तब खोलिये,
कुंजी शब्द रसाल ।।





श्री वल्लभ मन को भामतो,
मो मन रह्यो समाय ।
ज्यों मेंहदी के पात में,
लाली लखी ना जाय ।।





सुमरत जाय क्लेश मिटे,
श्री वल्लभ निज नाम ।
लीला लहर समुद्र में,
भींजे आठों याम ।।





जय श्री राधे कृष्ण




       श्री कृष्णाय समर्पणम्




Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: