तेरो लाल यशोदा छल गयो री ।मेरो माखन चुरा के
तेरो लाल यशोदा छल गयो री ।
मेरो माखन चुरा के बदल गयो री ।।
मेने चोरी से इसे मटकी उठाते देखा ।
आप खाते हुवे ओरो को खिलाते देखा ।।
नाच कर घूम कर कुछ निचे गिराते देखा ।
माल चोरी का इसे खूब लुटाते देखा ।।
"मेरे मुँह पर भी माखन मल गयो री"||1||
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हाथ आता नहीं ये दूर दूर रेता है ।
चोर हे चोर ये चोरी में चूर रेता है ।।
चोरी करके भी सधा बेकसूर रेता है ।
सर पे शेतानी का इसके फितूर रेता है ।।
"मेरे माखन की मठकी उढल गयो री" ||2||
हँसकर मांगता हे और ये कभी रोता हे ।
अपने हाथो से दही आप ही बिलोता हे ।।
ये दिन पे दिन भला क्यूँ इतना जबर होता है।
ना दो तो धूल में ही लोटता और सोता है ।।
"मेरो आँचल पकड़ कर मचल गयो री" ||3||
इसे समझादे यशोदा ये तेरा बेटा है ।
चोर ग्वालो का एक ये ही चोर नेता है ।।
मार पढ़ती हे इन्हें और ये मझा लेता है ।
इसके बदले में जरा बंसी बझा देता ।।
"जया मोते कान्हा के शरण गयो री" ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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