
देखि सखी गोविंद के चंदन शोभित साँमल अंग,
नाना भांति विचित्र चित्रकिये तामें केसर विविध सुरंग ll1ll
कंठमाल पीयरो उपरेना बनी इजार पचरंग ,
कानन करण फूल भृकुटि गति मोहत कोटि अनंग ll2ll
मृगमद तिलक कमल दल लोचन शीस पाग अर्धंग ,
चतुर्भुज प्रभु गिरिधर तन छिन छिन छबि के उठत तरंग ll3ll
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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