किशोरी !मोहे चरण रज दीजौलाडली !अब मोहे अपनी कीजौ |भटक
किशोरी !मोहे चरण रज दीजौ
लाडली !अब मोहे अपनी कीजौ |
भटक भटक कर आन पड़ी अब मैं द्वार तिहारे
अब मोहे अपनी कीजौ लाडली ये दासी यही पुकारे
जाने कौन विधि हो लाडली तुम मोते रीझो ||1||
पतित मलिन जो भी द्वारे आया तुमने है अपनाया
करुणामयी किशोरी तेरा दयामयी नाम धराया
इस पतिता पर भी लाडली अपनी करुणा कीजौ ||2||
दासी बनू तुम्हारी लाडली सेवा तेरी ही पाऊँ
तेरे ही गुणगान लिखूं तेरी ही महिमा गाऊँ
और कछु नहीं माँगूँ लाडली चरणन नेह कीजौ ||3||
तेरे द्वारे पड़ी लाडली और कहीं ना जाऊँ
किस विधि रीझै मेरी भोरी श्यामा कौन विधि अपनाऊँ
जग के फन्द काटो श्यामा मोहे शरण रख लीजौ ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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