अब तौ हरी नाम लौ लागी।सब जगको यह माखनचोरा, नाम

अब तौ हरी नाम लौ लागी।सब जगको यह माखनचोरा, नाम



अब तौ हरी नाम लौ लागी।
सब जगको यह माखनचोरा, नाम धर्‌यो बैरागीं॥1||


कित छोड़ी वह मोहन मुरली, कित छोड़ी सब गोपी।
मूड़ मुड़ाइ डोरि कटि बांधी, माथे मोहन टोपी॥1||


मात जसोमति माखन-कारन, बांधे जाके पांव।
स्यामकिसोर भयो नव गौरा, चैतन्य जाको नांव॥2||


पीतांबर को भाव दिखावै, कटि कोपीन कसै।
गौर कृष्ण की दासी मीरां, रसना कृष्ण बसै॥3||

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जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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