मेरे दिल में गई समाए हो समायभक्तों के भाव भरी

मेरे दिल में गई समाए हो समायभक्तों के भाव भरी






मेरे दिल में गई समाए हो समाय

भक्तों के भाव भरी भक्ति l




मैं रीझुँ एक चुल्लू जल पे

बिक जाऊं एक तुलसीदल पे
प्रेमिन रससुधा पिवाय ,हो पिवाय ll1ll




विदुरानी के छिलके खाए,

नहीं भोग दुर्योधन के भाय ,
गोपिन की छाछ सुहाए ,हाँ सुहाय ll2ll




मेरे प्रेम के पंथ निराले हैं ,

कोई जाने जानन हारे हैं ,
गुरु मारग दियो बताएं , हो बताएं ll3ll




जो सुमिरन मैंरो कर लैगों ,

सो भवसागर से तर लैगो,
सुमिरन बिन गोता खाय ,हो खाय ll4ll




जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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