कौन विधि मिले सखी मोहे बनवारी रेप्रेम पथ वारी मैंने
कौन विधि मिले सखी मोहे बनवारी रे
प्रेम पथ वारी मैंने राह ना बुहारी रे
कीन्हीं नहीं नेम पूजा कोई व्रत तप ना
कोई विधि जानी नहीं मेरो कोई तप ना
सच्चे मन से कभी तोहे ना पुकारी रे ||1||
कीन्हीं नहीं वन्दना कोई ना ही कोई गुण गाया
लग्न कोई लागी नहीं कभी ना प्रभु रिझाया
मन में मोहन ना बिठाया बैठी दुनिया सारी रे ||2||
एक बार मनमोहन मन में पधारो जी
अब लो सुधि नाथ मोहे ना बिसारो जी
आओ मनमोहन प्यारे जाऊँ बलिहारी रे ||3||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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