
झूला पड्यो री कदम्ब की डार..
झूला पड्यो री कदम्ब की डार
झुलावे ब्रज नारी |
रेशम की सखी डोरी पड़ी है,
मोतियन सो कैसी पटरी जड़ी है,
वा मेंबैठे नन्द कुमार ll
मधुर मधुर श्याम बंशी बजावत,
बंशी बजावत रस बरसावत,
नन्ही नन्ही पड़त है फुहार ll2ll
श्याम राधिका झूला झूले,
गोपी ग्वाल देखकर फूले,
सब गावत है मल्हार ll3ll
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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