
सीताराम सीताराम सीताराम कहियेराधेश्याम राधेश्याम राधेश्यान कहियेभक्ति रस की गंगा
सीताराम सीताराम सीताराम कहिये
राधेश्याम राधेश्याम राधेश्यान कहिये
भक्ति रस की गंगा में धीरे धीरे बहिये
जीवन है बड़ा ये अनमोल काहे व्यर्थ गंवाते हो,
मोह माया की माया में खुद को काहे रिझाते हो,
साथ न् जाये कुछ भी इतना ध्यान रखिये ll1ll
सुलझी हुई जीवन की डोर तुमने खुद उलझाई है,
सीधी राहे जीवन की खुद तुमने ठोकर खायी है,
जैसी करनी वैसी भरनी इतना ध्यान रखिये ll2ll
अंत समय जब आएगा बन्दे तब पछतायेगा,
क्या खोया क्या पाया तुमने पता यही चल जायेगा,
मिथ्या सारे जीवन के रंग बस इतना ध्यान रखिए ll3ll
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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मिलना सब से बन्दे प्रेम और प्यार से,एक दिन जाना
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