
गिरिराज दया करके हमको दरशन देना, हम आये शरण तेरी, श्रीजी
गिरिराज दया करके हमको दरशन देना,
हम आये शरण तेरी, श्रीजी हमको शरण देना॥
हम दूध चढा कर के तुम को नहलाते हैं ,
कुमकुम का तिलक करके, और वस्त्र धराते हैं
श्रीजी बर्फी जलेबी की सामग्री ग्रहण करना ||1||
तेरी परिक्रमा करके हम दन्डवत करते हैं,
ब्रज रज के कण कण को हम शीश लगाते हैं
हम भक्ति पा जायें, श्रीजी ऐसा वर देना ||2||
श्रृंगार के दरशन की, प्रभु शोभा न्यारी है,
तेरेदरशन करने को आते नर नारी हैं
हम छप्पन भोग करें, श्रीजी ऐसी कृपा करना ||3||
जब कष्ट पडें हमपे, श्री जी तुमको याद करें,
तेरे दर्शन करने से, दुख दर्द ओ कष्ट हरें,
श्रीजी जब भी ध्यान धरें, दर्शन को बुला लेना ||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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