
जाने अनजाने रे, तू ही मन भाया.
ले चल अपनी नगरिया,
मोहे दे के बांहों का सहारा
अब तो रंग गयी गिरिधर, तेरे ही रंग में,
सांवरा सलोना मेरो, बस गयो मेरे मन में,
जानूँ ना प्रीत की रीत सांवरिया ||1||
जग के बंधन गिरिधर, कैसे मैं तोड़ चलूं
तू ही अब राह दिखा दे, जिस पे मैं दौड़ चलूँ ,
राह ना सूझे, सांवरिया ||2||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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