
गोकुल का किशन कन्हैया सारे जग से निराला है,
सांवली सुरतिया है और मोर मुकुट वाला है।
भोले-भाले मुखड़े की बात ही निराली है,
हाथ में बंसी है और वैजन्ती माला है||1||
काली देह में कूद पड़े नाग को नथैया है,
कहते हैं उस दिन से सांवरे तू काला है||2||
इंद्र का घमंड तोडा गोवेर्धन उठा करके.
तूने ही एक ऊँगली पर पर्वत को सँभाला है||3||
मीरा के मन मोहन राधा के बनवारी
नाचे तेरी बंसी पर सारी ब्रजवाला हैं||4||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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