
भरोसो नाम को भारी
प्रेम से जिन्ह नाम लीनो ,
वे भये अधिकारी ।।
ग्राह जब गजराज घेरयो
बल गयो हारी |
हार कर जब टेर दीनी,
पहुँचे गिरधारी ||1||
सुदामा गरीब भजे ,
कुबरी तारी |
द्रौपदी को चीर बढ़ गयो,
दुस्सासन हारी ||2||
विभीषण को लंक दीनी,
रावण ही मारी.|
दास ध्रुव को अटल पद दियो,
राम दरबारी ||3||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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