
तेरी रहमतों की श्यामा होती है बरसात ऐसी
कहने में नहीं आए नहीं मेरी औकात ऐसी |
दुनिया को ठुकराकर जो भी तेरे दर आया
नहीं देखे ऐब तुमने अपने गले लगाया
जिंदगी सँवर गयी बनी बिगड़ी बात ऐसी ||1||
ये भी तेरी ही रहमत है तेरा नाम जुबां पर आया
जिसपर करो इनायत वही तेरा नाम गाया
वरना कहाँ उठती है इस दिल में बात ऐसी ||2||
सजदा तुम्हें किया ना नहीं की इबादत कोई
दुनिया की उलझनों में पल पल रही मैं खोई
कभी श्यामा नाम गाऊँ नहीं मेरी जात ऐसी ||3||
इतना करम अब करना मुझे अपना नाम देना
बिखरी हुई है हस्ती तुम कोई अँजाम देना
खिदमत करूँ तुम्हारी नहीं मुझमें बात ऐसी ||4||
रखना अपने कदमों में यही मेरा आशियाना
कभी छोड़ कर ना जाऊँ श्यामा तेरा बरसाना
बना कर रखना मुझपर नज़र ए इनायात ऐसी ||5||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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