.              तर्ज़ - नगरी  नगरी 

.              तर्ज़ - नगरी  नगरी 

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        तर्ज़ - नगरी  नगरी  द्वारे  द्वारे ,
       ढूँढू रे सँवरिया


                       
साँवरिया के श्री चरणों में, जो भी इकबर आता है
वो इनका ही बन जाता है, और कँही नही जाता है

हमने देखें हैं किस्मत के, लेख यँहा पे बदल गये
और कितने ही गम के मारे, गिरते गिरते सम्हल गये
लाखों मुश्किल बाधाओं से, शरणागत बच जाता है ||1||

श्याम कृपा से सुखमय होता, उसका जीवन घर सँसार 
कदम कदम पे सफल वो होता, उसको मिलता सबका प्यार
मानव सेवा दान धरम में, उसको आनन्द आता है ||2||

जैसे जिसके भाव हृदय के, उसको वैसा फल मिलता
कहे *"रवि"* श्री श्याम कृपा से, हर मुरझाया मन खिलता
तन मन धन जीवन की सारी, खुशियाँ वो पा जाता है ||3||


    
जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

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