
सांस सांस में सुमिरन करके, बार बार बलि जाऊ !
तुम बिन मेरो कोई नहीं भगवन, जिसको में अपनाऊ |
तुम ठाकुर तुम साहिब मेरो, तुहरे हुकुम चलाऊ !
हे भगवन में तेरो तेरो, चरण शरण सुख पाऊ ||1||
उठत बेठत तुम्हे अराधू, आठ पहर गुण गाऊ !
राधे राधे की मधुर ध्वनि में अंतर ही खो जाऊ ||2||
जय श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णाय समर्पणम्
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