मन पछितैहै अवसर बीते। दुरलभ देह पाइ हरिपद भजुकरम बचन

मन पछितैहै अवसर बीते। दुरलभ देह पाइ हरिपद भजुकरम बचन








मन पछितैहै अवसर बीते।


दुरलभ देह पाइ हरिपद भजु
करम बचन अरु ही ते ॥1||



सहसबाहु दसबदन आदि नृप
बचे न काल बलीते||2||


हम-हम करि धन-धाम सँवारे
अंत चले उठि रीते ॥3||



सुत बनितादि जानि स्वारथरत
न करु नेह सबही ते।|4||


अंतहु तोहिं तजैंगे पामर!
तू न तजै अबही ते ॥5||
  

अब नाथहिं अनुरागु जागु जड़
त्यागु दुरासा जी ते।|6||


बुझे न काम अगिनि तुलसी कहुँ
विषय-भोग बहु घी ते ॥7||

जय श्री राधे कृष्ण



       श्री कृष्णाय समर्पणम्

Previous Post
Next Post

post written by:

0 Comments: