प्रभुनाम के रंगमेंरंग के मनको,जीवन अपना सफल बना ।जग

            प्रभुनाम के रंगमेंरंग के मनको,जीवन अपना सफल बना ।जग

           










प्रभुनाम के रंगमेंरंग के मनको,जीवन अपना सफल बना ।

जग के मोह में फँसकर प्राणी जन्म न अपना व्यर्थ गँवा ।।

मानुष-जन्म.   अमोलक   पाया, बार-बार  नहीं   पायेगा ।
प्रभुका नाम गर न सुमिरा, हाथ मलमल कर पछतायेगा ||1||




चेतजा अब भी नाम सुमिर ले, जन्मका सच्चा लाभ उठा ।
नाम के सुमिरण से ही प्राणी     होगा तेरी रूह का भला ||2||




झूठे   हैं सब   जग  के धन्धे, काम  कोई नहीं आयेंगा ।
व्यर्थ गँवा मत जीवन अपना, कोई न साथ निभायेंगा ||3||




अन्त  में तेरे  काम  जो आये,   प्रभु का नाम तू हृदय बसा ।
जीवन बाज़ी जीत ले प्यारे! पल-पल प्रभु का नाम को ध्या ||4||







जै श्री राधे कृष्ण

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श्री कृष्णायसमर्पणं

   

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