
तर्ज- राधे अद्भुत नजारा तेरे बरसाने में है
हर घड़ी सुमिरन तुम्हरा मेरे इन ओठों पे है,
नाम प्रियाकांत प्यारा मेरे इन होंठो पे है l
बाँकी छवि बाँकी अदा बाँकी हँसी बाँकी चलन,
रुबरू वहां का नजारा मेरे इन होंठो पे है ll1ll
मेरी आँखों में कटीली अपनी आँखे डालकर,
जो किया तुमने इशारा मेरे इन होंठो पे है ll2ll
एक सूरत आपकी और दीवाना सारा जहां,
हाल जो होगा हमारा मेरे इन होंठो पे है ll3ll
असलियत खोटी खरी सब जन बेरुखी कहे,
हो न् हो सबको गंवारा मेरे इन होंठो पे है ll4ll
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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