
स्वर्ग कहते जिसे जानते हम नहीं ,
स्वर्ग का देवता सामने आ गया
बन के बालक सलोना अवध भूप का,
मेरे महलों में अपवर्गय सुख छा गया l
आज बिहसि दिशाएं कमल खिल गये
इनके माथे दीये सभी जल गए
आज परियों ने मंगल सजाए मुदित
मन अनोखा नया चन्द्रमा पा गया ll1ll
कोकिलाओ ने घोला सरस् कुञ्ज में
रागिनी छाई मंगल कुञ्ज में
भाग्य के उन छबीले कलश में
प्रेम का पुंज पियूष बरसा गया ll2ll
जो अगम को निगम शुद्ध मन को सुगम
देख सरगम मनोरम विषम और सम
दास गिरिधर की तूलिका पर ही ,
अपने सुन्दर मधुर चित्र लहरा गया ll3ll
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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