
श्याम आये आकर चले भी गए मन के मन्दिर में उनको
श्याम आये आकर चले भी गए
मन के मन्दिर में उनको बिठा न सकी
टकटकी बांधकर देखती ही रही
दिल का दुखड़ा मैं उनको सुना न सकी |
मेरी आहो ने असर दिखला दिया ,
खीच कर मेरे नटबर को घर ला दिया ,
मेरी तकदीर ने साथ पर न दिया ,
जो नजरो में मैं उनकी समा न सकी ||1||
आये घनश्याम बन्शी बजाते हुए ,
तीर नैनो के तीखे चलाते हुए ,
चल दिए मेरे चित को चुराते हुए ,
जाते नटबर को हाय ! बुला न सकी ||2||
मुझ अभागन ने सत्कार ही न किया ,
लाज के मारे तो प्यार भी न किया ,
कदम आगे बढ़ाते हुए रुक गयी ,
हाथ चरणों में उनके लगा न सकी ||3||
दिल धड़कता रहा याद आती रही ,
आहे भरती मैं आँसू बहाती रही ,
क्या कहू किसलिए शर्माती रही ,
जो मैं नैनो से नैना मिला न सकी ||4||
मेरे दिल की सखी मेरे दिल में रही ,
बात एक भी मैंने खोल कर न कही ,
हाय ! मैं तो कही की भी अब न रही ,
जो मैं नटबर को अपना बना न सकी ||5||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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