
दिखा दो सांवरी सूरत तुम्हारी मेहरबानी है
तुम्ही दुनिया हमारी हो तुम्ही से जिंदगानी है |
खड़ी हूँ कब से दर पे मैं ,तेरा दीदार पाने को
जगत के छोड़ बंधन को, तुम्हे अपना बनाने को
तुम्हे अपना बना लूँ मैं ,यही मन में ठानी है ll1ll
ये है फरियाद इस देह की, मेरी मालिक जरा सुन लो
पकड़ लो हाथ मेरे राम , आकर पार अब कर दो
न् जानू प्रीत की मैं रीत, तुमको रीत निभानी है ll2ll
कभी दुःख कभी सुख है ,मगर दोनों तुम्हारे हैं
जगत में कुछ नहीं मेरा , तेरा अब प्राण प्यारे है
ये जीवन तुम पर हो कुर्बान, यही बस मन में ठानी है ll3ll
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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