नित सेवा मांगूँ श्यामा श्याम तेरी,                   न भुक्ति नाहीं

नित सेवा मांगूँ श्यामा श्याम तेरी,                   न भुक्ति नाहीं






नित सेवा मांगूँ श्यामा श्याम तेरी,
                  न भुक्ति नाहीं मुक्ति मांगूँ मैं!
बढ़ें भक्ति निष्काम नित मेरी,
                  न भुक्ति नाहीं मुक्ति मांगूँ मैं |



तोहिं पतित जनन ही प्यारे हैं,
                 हम अगनित पापन वारे हैं !
पुनि कत कर एतिक बेरी,
                 न भुक्ति नाहीं मुक्ति मांगूँ मैं ||1||



ये भली है बुरी है जो है तेरी है,
         तुम भी सोचो सचमुच यह मेरी है!
सोचत ही बनी जाय मेरी,
                  न भुक्ति नाहीं मुक्ति मांगूँ मैं||2||






तेरी इच्छा मै इच्छा बनाती रहू,
        तेरे सुख मै ही सुख नित पाती रहू!
बस चाह इहई इक मेरी,
                 ना भुक्ति नाहीं मुक्ति मांगूँ मैं||3||



बिनु हेतु कृपालु कहाते हो,
                पुनि क्यू साधन करवाते हो!
सुनु विनय " कृपालुजू "  मेरी,
                 ना भुक्ति नाहीं मुक्ति मांगूँ मैं||4||

जै श्री राधे कृष्ण


🌺

श्री कृष्णायसमर्पणं



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