
रितु बसन्त श्याम घर आयो
तन मन धन सब वारो हों ।
लै गुलाल ऊपर अंगन छिरकों
पलकिन सों मग झारो हों ।।
चोवा चन्दन और अरगजा
सब सखियन पे डारों हों
उड़त गुलाल लाल भये बादर
भरि पिचकारी मारों हों ।।
खेलूंगी मैं चतुर पिया सों
आयो बसन्त सवारों हों
सूरदास अन हि तन के मुख
सब भूषण भरि डारों हों ।।
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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