
मैं ना बोलूँगा, मुँह ना खोलूँगा,
समझे तूं अंसुवन की भाषा, मैं तो रो लूँगा ।।
बड़ी मनुहार करी, मगर तूं ना आया,
हार कर नजराना, मैं आँसू का लाया,
आँसू की ये भेंट मेरी, स्वीकार करो बाबा,
चरण तुम्हारे इस धारा से, आज मैं धो दूँगा ।।
भगत के आँसू क्या, तूं श्याम सह पायेगा,
गले से लगाये बिन, क्या तूं रह पायेगा,
समझ सके तो समझले मेरी, मन पीड़ा बाबा,
मैं तो बस रो करके अपना, दर्द दिखाऊँगा ।।
समझना जो चाहो, तो आँखें पढ़ लेना,
अगर तुम जो चाहो, तो किरपा कर देना,
आँखों में सैलाब लिये ये, 'हर्ष' खड़ा बाबा,
चौखट से इंकार मिला तो, वो भी सह लूँगा ।।
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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