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श्री श्याम के दिवाने, सारे जग में घूमते हैं
रटते हैं नाम उनका, मस्ती, में झूमते हैं
साँचै सँवरिया के नाम में, बहती जो अमृत, की धार है
उसको ही पीने के वास्ते, पागल बना ये सँसार है
श्री साँवरे प्रभु को, कण कण में ढूँढ़ते हैं ||1||
इस नाम की जब लागे लगन, तो भक्त हो जा-ते हैं मगन
बिसरा के सुध बुध वो नाचते, नाचे हैं सँग सँग धरती गगन
हर प्रा-णियों के मुख से, जयका-र गूँजते है ||2||
जो साँवरे के दिवाने हैं, उनका ठिकाना है खाटू धाम
उनकी शरण में वो रम गये, रटते सदा वो जय श्री श्याम
*"रवि"* जो हैं श्याम शरणम्, वो जग को भूलते हैं ||3||
*रविन्द्र केजरीवाल " रवि "
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं

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