
ब्रज में प्रियाकांत जू के संगहोली खेलूँ रंग भरी lखेलूँ
ब्रज में प्रियाकांत जू के संग
होली खेलूँ रंग भरी l
खेलूँ रंग भरी कि होली खेलूँ रंग भरी l
होली होय ऐसी अजब अति प्यारी
भर भर रंग की चले पिचकारी
इत उत भागे रंग के मारे
गोपी डरी डरी ll1ll
मनभर रबड़ी दूध मागउँ
केसर मेवा खूब मिलाऊँ
सिलबट्टा पे घुटे
हमारी भंगियां हरी हरी ll2ll
हम रसिया रस के मतवारे
प्रेम सुधारस पीवन वारे
हंसी ठिठोली करे
निराली मीठी खरी खरी ll3ll
जै श्री राधे कृष्ण
🌺
श्री कृष्णायसमर्पणं
Previous Post
मृगनयनी को यार नवल रसिया, नवल रसिया ।।
0 Comments: