
रे मन ये दो दिन का मेला रहेगा
कायम न जग क् झमेला रहेगा
किस काम का ऊंचा महल जो तू बनायेगा
किस काम का लाखो का जो तोड़ा कमायेगा
रथ हाथियों का झुंड भी किस काम आयेगा
तू जैसा यहाँ आया था वैसा ही जायेगा
तेरे सफर में सवारी की खातिर कंधो पे ठठरी का ठेला रहेगा ll1ll
कहाँ है ये दौलतकभी आयेगी मेरे काम
पर ये तो बता धन हुआ किसका भला गुलाम
समझा गए उपदेश हरिचन्द्र कृष्ण राम
दौलत नही रहती है रहता है सिर्फ नाम
छूटेगी सम्पत्ति यहाँ की यहीं पर
तेरी कमर में न ढेला रहेगा ll2ll
साथी है मित्र गंगा के जल बिंदु पान तक
अर्धांगनी बढ़ेगी तो केवल मशान तक
परिवार के सब लोग चलेंगे मशान तक
बेटा भी हक़ निभायेगा तो अग्नि दान तक
इससे तो आगे भजन ही है साथी हरि के भजन बिन अकेला रहेगा ।।3।।
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जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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