सांवरे घनश्याम तुम तो ,प्रेम का अवतार होफँस रहा हूँ
सांवरे घनश्याम तुम तो ,
प्रेम का अवतार हो
फँस रहा हूँ संकटों में
तुम ही खेवनहार हो ।
चल रही आँधी भयानक
भँवर में नैया फँसी
थाम लो पतवार गिरिधर
तब ही बेड़ा पार हो ।।1।।
आपका दर्शन हमें इस,
छवि से बारम्बार हो,
हाथ मुरली मुकुट सिर पर
और गले में हार हो ।।2।।
नंगे पग तज के गरुड को
दौड़ने वाले प्रभु
देखना , निष्फल न मेरे
आंसुओ की धार हो ।।3।।
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जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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