
मत पकड़े मोरी बहियाँ, मोरी
मत पकड़े मोरी बहियाँ,
मोरी दूखे नरम कलइया।
तेरो माखन मैं नहिं खायो
अपने घर के धोखे में आयो,
मटकी ते नहिं हाथ लगायो,
हाथ छोड़ दे हा-हा खाऊँ,
तेरी लऊँ बलइयाँ ॥1||
खोल किवारिया तू गई पानी,
भूल करी अब क्यों पछतानी,
मो संग कर रही ऐंचातानी,
झूठो नाम लगाय रही,
घर में घुसी बिलइया ||2||
तोको तनिक लाज नहिं आवे,
मुझ सूधे को दोस लगावे,
घर में बुला के चोर बतावे
हाथ छोड़ दे देर होत है
दूर निकस गईं गइयाँ||3||
आज छोड़ दे सौगंध खाऊँ,
फेर न तेरे घर में आऊँ,
नित तेरी गागर उचकाऊँ,
पड़ूँ पाँव तेरे, जान दे मोहे,
बोल रह्यो बल भइया ||4||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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