लफ्जों की है मज़बूरी,तुम नजरो से समझ जाओ।कहती है राधा
लफ्जों की है मज़बूरी,
तुम नजरो से समझ जाओ।
कहती है राधा रानी,
मेरे कान्हा चले आओ।
माखन की मटकी अब,
तड़पती है टूटने को।
कहती है ये मटकी भी
मेरे कान्हा चले आओ।
बचपन की अटखेलियाँ,
वो जंगल वो गौ मईया।
कहती है आज फिर से,
मेरे कान्हा चले आओ।
वियोग की बेला है ये,
अब ना और तङपाओ।
मिलन की घड़ी कहती है,
मेरे कान्हा चले आओ।
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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