तर्ज़:स्वरचित .दर तेरे आने की,दर्शन तेरा पाने की दिल में
तर्ज़:स्वरचित .
दर तेरे आने की,दर्शन तेरा पाने की
दिल में तमन्ना है,तुझको रिझाने की!!
बिन महर तेरे,क्या दर कोइ आ पाता
आने की क्या बात,चल नहीं पाता||1||
नहीं मीरा सा भक्ति,नहीं भाव सुदामा सा
नहीं करमा मैं कोइ,नहीं हूँ मैं नरसी सा||2||
कब होगी महर तेरी,कब नज़र तुम्हारी श्याम
दे भक्ति भाव मुझ में,आऊं मैं दर तेरे धाम||3||
क्या पाप किये मैंने,क्या भुल हुई है श्याम
पापी कितने तारे,'टीकम' तो तेरा गुलाम||4||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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