भाव का भूखा हू मै,और भाव ही एक सार है...!भाव
भाव का भूखा हू मै,
और भाव ही एक सार है...!
भाव से मुझको भजे तो
भव से बड़ा पार है|
भाव--बिन कोई मुझे पुकारे ..
मै कभी सुनता बही....?
तेर भक्ति--भाव की
करती मुझे लाचार है.||1||
अन्न--जल और वस्त्र--
भूषण कुछ न मुझको चाहिए..!!
आप हो जाए मेरे
बस यही मेरा सत्कार है.||2||
भाव--बिन सर्वस्व भी दे दे
तो मै कभी लेता नहीं..!
भाव से एक फूल भी दे दे
तो मुझे स्वीकार है||3||
भव जिस जन में नहीं
उसकी मुझे चिंता नहीं..?
भाव वाले भक्त का
भरपूर मुझपर भार है||4||
बाँध देते भक्त मुझको
प्रेम की जंजीरों से..!
इसलिए होता मेरा
इस धरा पर अवतार है ||5||
जै श्री राधे कृष्ण
🌺
श्री कृष्णायसमर्पणं
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