हम आँखें बिछाकर बैठे हैं ,इक दिन सरकार आएंगेंनहीं बल

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हम आँखें बिछाकर बैठे हैं ,इक दिन सरकार आएंगें
नहीं बल कोई मेरे जप तप में , पर सुनकर पुकार आएँगे |



केवट को पार लगाने को , बेर शबरी के जूठे खाने को

जो आप प्रेम के भूखे हैं , धर प्रेम अवतार आएँगे ||1||

मन माखन नित्य चुराने को , अबला की लाज बचाने को
जिस भाव से कोई भजे उन्हें , फिर वही रूप धार आएँगे ||2|



गोपी प्रेम से उन्हें नचाती है , भर भर कर छाँछ पिलाती है
छोड़ भोग पदार्थ स्वर्ग के भी, तन्दुल करने स्वीकार आएँगे ||3||



सच यह है हमने पुकारा नहीं , हरिनाम में हरि को स्वीकारा नहीं 
कहे बाँवरी भज हरिनाम सदा , हरि करने उद्धार आएँगे ||4||

जै श्री राधे कृष्ण


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श्री कृष्णायसमर्पणं

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