कुन्जन में दोऊ आवत भीजत। ज्यों ज्यों बूँद परत चूनर
कुन्जन में दोऊ आवत भीजत।
ज्यों ज्यों बूँद परत चूनर पर,
त्यों त्यों हरी उर लावत, आवत ॥ कुन्जन में ....
अधिक झंकोर होत मेघन की,
द्रुम तरु छिन छिन गावत आवत ॥ कुन्जन में ....
वे हँसि ओट करत पीताम्बर,
वे चुनरी उन उढ़ावत, आवत ॥ कुन्जन में ....
भीजे राग रागिनी दोऊ,
भीजे तन छवि पावन, आवत ॥ कुन्जन में ....
लै मुरली कर मन्द घोर स्वर,
राग मल्हार बजावत, आवत ॥ कुन्जन में ....
तैसे ही मोर कोकिला बोलत,
अधिक पवन घन भावत, आवत ॥ कुन्जन में ....
सूरदास प्रभु मिलन परस्पर,
प्रीत अधिक उपजावत, आवत ॥ कुन्जन में ....
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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