कुन्जन में दोऊ आवत भीजत। ज्यों ज्यों बूँद परत चूनर

कुन्जन में दोऊ आवत भीजत। ज्यों ज्यों बूँद परत चूनर








कुन्जन में दोऊ आवत भीजत।



ज्यों ज्यों बूँद परत चूनर पर,
त्यों त्यों हरी उर लावत, आवत ॥ कुन्जन में ....




अधिक झंकोर होत मेघन की,
द्रुम तरु छिन छिन गावत आवत ॥ कुन्जन में ....




वे हँसि ओट करत पीताम्बर,
वे चुनरी उन उढ़ावत, आवत ॥ कुन्जन में ....



भीजे राग रागिनी दोऊ,
भीजे तन छवि पावन, आवत ॥ कुन्जन में ....



लै मुरली कर मन्द घोर स्वर,
राग मल्हार बजावत, आवत ॥ कुन्जन में ....




तैसे ही मोर कोकिला बोलत,
अधिक पवन घन भावत, आवत ॥ कुन्जन में ....




सूरदास प्रभु मिलन परस्पर,
प्रीत अधिक उपजावत, आवत ॥ कुन्जन में ....


जै श्री राधे कृष्ण



🌺




श्री कृष्णायसमर्पणं

.       

post written by:

Related Posts

0 Comments: