अब किसी महफिल में जाने की हमें फुर्सत नहींदुनिया वालों

अब किसी महफिल में जाने की हमें फुर्सत नहींदुनिया वालों








अब किसी महफिल में जाने की हमें फुर्सत नहीं
दुनिया वालों को मनाने की हमें फुर्सत नहीं।




एक दिल है जिसमें मेरा बस हैं साँवरा ,
अब कहीं दिल को लगाने की हमें फुर्सत नहीं ।।1।।




ये जो आंखें हैं हमारी मिल गई है श्याम से
अब कहीं नजरें मिलाने की हमें फुर्सत नहीं।।2।।




एक सर था झुक गया जब आपके दरबार में
अब कहीं सर को झुकाने की हमें फुर्सत नहीं ।।3।।




बेवफा दुनिया ये हमसे पूछती है क्या हुआ
अब किसी को बताने की हमें फुर्सत नहीं ।।4।।

जै श्री राधे कृष्ण



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श्री कृष्णायसमर्पणं

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