
कुञ्ज कुञ्ज में मचल उठी
सखियां अष्ट,मञ्जरी सारी
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा सखी
रक्षाबन्धन की बेला प्यारी।
श्रीदामा कूँ पकर बिठायो
ललि संग आई कुंजरिया प्यारी।
रक्षा सूत्र बांध्यो भइया कूँ
लेई वासे चुनरी मलूक न्यारी ||1||
वचन लियो भइया सौ अब
साँवरे की बतायगो लीला सारी।
कुञ्ज निकुंज की लीला अनुपम
श्रीदामा भइया की अब बारी||2||
रहस्य मधुर रस कूँ झरनो
भइया लुटावे सखियो मझारी।
नीरा कहे नित्य ही रह्वे
राखी की यह बेला सुखकारी||3||
श्री राधा जूँ सी सबन कूँ बहन मिले
श्रीदामा जेसो अति प्यारो भाई।
बरसाने सौ नित्य भाव घर मिले
जहाँ सदा आनन्द की घटा छाई||4||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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