अब कैसे छूटे राम रट लागी।प्रभु जी, तुम चंदन हम
अब कैसे छूटे राम रट लागी।
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी,
जाकी अँग-अँग बास समानी॥1||
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा,
जैसे चितवत चंद चकोरा॥2||
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती,
जाकी जोति बरै दिन राती॥3||
प्रभु जी, तुम मोती, हम धागा
जैसे सोनहिं मिलत सोहागा॥4||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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