जो तू प्रेम पंथ में आतौ।सबसों पहिलें संत सरण में,परम
जो तू प्रेम पंथ में आतौ।
सबसों पहिलें संत सरण में,
परम प्रेम सों जातौ।।
दुनियां में तेरौ मन नहीं लगतौ,
सत्संग तोय सुहातौ।
विषयन रस कों तू नही चाहतौ,
प्रेम के मगई समातौ ||1||
कृष्ण कृष्ण कहतौ हरदम ही,
फिरतौ प्रेम मदमातौ।
भाव भक्ति सों हरि मंदिर में,
प्रीतम नाँच रिझातौ||2||
जुगल चरण की करतौ सेवा,
प्रेम पदारथ पातौ।
निर्गुण धाम मोहन पद पातौ,
तन धन सब बिसरातौ ||3||
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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