
तर्ज - मैं तो ठहरा परदेशी
श्याम तेरी बांसुरिया करती दीवाना है।
अपना बनाने का करे मीठा बहाना है ।
घर-बाहर जी ना लगे रहते हैं खोए से
हर दिन तेरा देखूं नित सपना सुहाना है ।।1।।
अपने पराए की सुध-बुध भूल गई
जग का नाम क्या लेना करे तेरा बहाना है ।।2।।
किसको मैं अपना कहूं तुम जैसा प्यार कहां
ढूंढ फ़िरा जग में , दिल तुमसे लगाना है ।।3।।
दिल में बसाने को बंसी सहारा है।
आन मिलो मोहन जी कोई राज बताना है ।।4।।
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जै श्री राधे कृष्ण
श्री कृष्णायसमर्पणं
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