शरद की रैन बड़ी उजियाल,बिरज में रास रच्यो गोपाल।इक इक

शरद की रैन बड़ी उजियाल,बिरज में रास रच्यो गोपाल।इक इक












शरद की रैन बड़ी उजियाल,
बिरज में रास रच्यो गोपाल।




इक इक गोपी इक इक कान्हा,
नृत्य करत नंदलाल ।।




मोर मुकुट सिर कानन कुंडल, 
केशर चंदन भाल।




नटवर वेश धरयो मनमोहन, 
गल बैजन्ती माल ।।


जै श्री राधे कृष्ण
🌺





श्री कृष्णायसमर्पणं

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