कहा करौ बैकुंठहि जाय,जहाँ नहि नन्द जसोदा गोपी, जहाँ नहीं ग्वाल-बाल

कहा करौ बैकुंठहि जाय,जहाँ नहि नन्द जसोदा गोपी, जहाँ नहीं ग्वाल-बाल










कहा करौ बैकुंठहि जाय,


जहाँ नहि नन्द जसोदा गोपी, 
जहाँ नहीं ग्वाल-बाल और गाय ||1||


जहाँ न जल जमुना कौ निर्मल, 
और नहीं कदमनि की छाय ||2||


'परमानन्द' प्रभु चतुर ग्वालिनी, 
बज-रज तजि मेरी जाइ बलाय||3||

जै श्री राधे कृष्ण
🌺





श्री कृष्णायसमर्पणं



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