चाहे फांसी लगे या लगे हथकड़ीहो मेरे बाँके बिहारी से

चाहे फांसी लगे या लगे हथकड़ीहो मेरे बाँके बिहारी से










चाहे फांसी लगे या लगे हथकड़ी

हो मेरे बाँके बिहारी से अंखिया लड़ी ।
हो मेरे कुंज बिहारी से अँखियाँ लड़ी ।




सखी गोकुल नगरीया को जाऊंगी मैं

प्रेम घर उनके दर पर बनाउंगी मैं
वहाँ कीर्तन करूँगी खड़ी की खड़ी 
हो मेरे बाँके बिहारी से अँखिया लड़ी ।।1।।




तेरी बांकी अदा ने किया बाँवरे

तेरे नैनो में घर है मेरा साँवरे
तेरे नैनो से नैना मिले हर घड़ी 
हो मेरे बाँके बिहारी से अँखिया लड़ी ।।2।।




मेरी विनती बिहारी जी सुन लीजिये

अपनी चरणों की दासी बना लीजिये
छोड़ के सारे बन्धन शरण मे पड़ी
हो मेरे बाँके बिहारी से अँखिया लड़ी ।।3।।




जै श्री राधे कृष्ण

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