
है प्रभु मुझे बता दो
चरणों में कैसे आऊँ
माया के बंधनों से
छुटकार कैसे पाउँ ।
न जानूँ कोई पूजन
अज्ञानी हूँ मैं भगवन
करना कृपा दयालु
बन्धन से छूट जाऊँ ।।1।।
मैं हूँ पतित स्वामी
तुम हो पतित पावन
अवगुण भरा हृदय में
इसे कैसे मैे हटाऊँ ।।2।।
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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