
तुम ही हो ब्रज के आधार
मेरे श्याम
कन्हिया तुम ही हो ब्रज के आधार|
बांस काट बंशी बनवायी
सोने चांदी से मढ़वाई
हो यामे नूपुर लगाए दो चार
मेरे श्याम
सांवरिया तुम ही ब्रज के आधार।।1।।
मोर मुकुट तेरे शीश पे सोहे
बंशी तेरी अति मन मोहे
हो ऐसी बंशी बजाए बार बार
मेरे श्याम
सांवरिया ।।2।।
बंशी वट पे बंशी बजावे
हो यमुना तट पे रास रचावे
वहां नूपुर की होवे झंकार
मेरे श्याम
सांवरिया ।।3।।
काले कन्हिया काली कमरिया
कारे कारे बछड़ा है कारी कारी गैया
काली कालिंदी की धार
मेरे श्याम
सांवरिया। ।।4।।
जै श्री राधे कृष्ण
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श्री कृष्णायसमर्पणं
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